Tuesday, March 19, 2024
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वास्तु इनसाइट Vaastu Insight

इन डेप्थ वास्तु इनसाइट

वास्तु से लाभ एवम कैसे कार्य करती है ( संक्षिप्त विवरण )
जीवन में सभी का एक सपना होता है कि मेरे भी एक आलिशान घर होना चाहिये और सभी के होना भी चाहिए परन्तु जब हम सपने के महल को बनवाते है तो कभी नहीं सोचते कि जो महल या घर अपनी पूरी जीवन की पूंजी लगाकर बनवाते है उसमें जाकर हम खुश , सुखी भी रह पायेंगे कि नहीं…………
तो में इस विषय में आपसे कुह बातें शेयर करना चाहूँगा कि क्या में जो घर या फैक्ट्री, शॉप, जो भी बनवा रहा हूँ वो कैसे मेरे जीवन में ख़ुशी और सुख दायक होगी.
सबसे पहले हम धरती माँ को ही ले लेते है
क्योंकि घर, शॉप, फैक्ट्री जो भी आप बनवा रहे है उसके लिए जमीन चाहिए.
१. जमीन की क्वालिटी सबसे पहले देखी जाती है जहाँ पर हम घर, आशियाना, फैक्ट्री शॉप, बनवा रहे है उस जगह का परिक्षण किया जाता है की वहाँ पर कोई शल्य तो नहीं है शल्य का मतलब की उस जगह पर मानव हड्डियां, बाल, कोयला, जानवर की हड्डियां, लोहा, दबी हुई पुराने कपड़े आदि तो नहीं है यदि वहाँ पर यह चीजें होगी तो शल्य में आएँगी
२. भूमि का ढलान :- भूमि का ढलान भी बहुत हद तक जीवन को प्रभावित करता है यदि दक्षिण में ढलान होता तो उस जगह पर नकद पैसे की समस्या होगी हाथ में नकद पैसा नहीं रुकेगा.
३. जेओपथिक स्ट्रेस ( Geo-pathic Stress ):- देशी भाषा में भूत वाली जगह कहा जाता है जमीन के अन्दर उत्तर से दक्षिण को उर्जा की धाराएँ दो मीटर X ढाही मीटर की दुरी पर और पूर्व से पश्चिम तीन X तीन मीटर की दुरी पर उर्जा की धाराएँ चलती है जहाँ पर भी वो क्रॉस होती है उस जगह को भूत वाली जगह, या Geopathic Stress कहा जाता है इन धाराओं की वजह से जीवन में बहुत सारी समस्याएं आना शुरु हो जाती है और इन्सान समझ ही नहीं पाता की मेरे साथ जीवन में यह सब क्यों हो रहा है
• जैसे कि :-
१. कैंसर
२. अनिंद्रा
३. बुरे एवम डरावने सपने आना
४. शिर में दर्द
५. गर्भपात
६. अलर्जी
७. नींद में चलना
८. दवा का ना लगना
९. धैर्य की कमी
१०. दौरे पड़ना
११. थकान,
१२. गंभीर मांसपेशियों में दर्द,
१३. छोटी शारीरिक या मानसिक परिश्रम के बाद थकावट
१४. सिर दर्द,
१५. चक्कर आना,
१६. ध्यान केंद्रित करने में अक्षमता,
१७. तापमान परिवर्तन, अतिसंवेदनशीलता,
१८. प्रकाश में अतिसंवेदनशीलता,
१९. पीलापन,
२०. चिड़चिड़ापन,
२१. धैर्य की कमी,
२२. Wretchedness की भावना,
२३. बेचैन नींद,
२४. नींद चलने,
२५. दांतों की पीस,
२६. सुबह में तरोताज़ा महसूस नहीं लगना
२७. थकान,
२८. तेज सिर दर्द,
२९. सिरदर्द,
३०. पीठ में दर्द,
३१. ऐंठन,
३२. ठंड महसूस होना
३३. हाथ और पैर में झुनझुनी,
३४. बेचैनी।
३५. अंतः स्रावी रोग
३६. बौनापन
३७. पिट्यूटरी
३८. थायराइड
३९. अधिवृक्क
४०. सभी प्रकार के हृदय रोगों,
४१. उच्च रक्तचाप,
४२. सक्रियता,
इस ( Geopathic Stress वाली ) जगह पर लगातार छ से आठ घंटे से ज्यादा वक्त यदि व्यक्ति रोजाना व्यतीत करता है तो इन्सान की रोग प्रतिरोधक शक्ति बहुत कमजोर हो जाती है और आप जानते है जब रोग प्रतिरोधक शक्ति बहुत कमजोर हो जाएगी तो शरीर तो रोगों का घर बन ही जायेगा. अक्सर Geopathic Stress वाली जगह पर रहने से दवा भी नहीं लगती है और भूत भी वहीँ पर होते है सारी नियां की मुशीबतें वहां रहने वालों को उठानी पड़ती है पुराने समय में हमारे पूर्वजों ने इस जगह से बचने के लिए शास्त्रों में उल्लेख किया है कि इस जगह के क्या लक्षण होते है और कैसे इस जगह से बचा जा सकता है जैसे की हमारे पूर्वज गाय, घोड़ा, कुत्ता, भेड़, मुर्गियां, आदि क्यों पालते थे क्योंकि गाय, घोड़ा, कुत्ता, भेड़, मुर्गियां इस जगह को पहचानती है और बिल्ली, सांप, मधुमक्खी, उल्लू, घोंघे, चीटियाँ, दीमक, आक के पौधे, आदि इस जगह को पसंद करते है कांच, ईंट और plaster work टूटने, दीवारों में दरारें आना भी इसके लक्षणों में शामिल हैं। इस जगह में संग्रहीत फलों और सब्जियों, अनाज, शराब, पनीर, जाम, शराब और फोटो फिल्म सब जल्दी खराब हो जाती है आज के युग में आधुनिक सेंसरों जैसे की यूनिवर्सल औरा स्कैनर, रोड्स, पेंडुलम, लेचर एंटीना से Geopathic Stress की जगह का पता लगाकर आसानी से इस Geopathic Stress के प्रभाव को निष्प्रभावी किया जा सकता है
४. इन तीन बातों की जाँच करने के बाद घर, शॉप, फैक्ट्री की जगह का शिलान्यास किया जाता है शिलान्यास में शुभ मुहूर्त का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योकिं शिलान्यास के मुहूर्त से ही उस घर, शॉप, फैक्ट्री की आयु का निर्धारण होता है यानि जो उर्जा क्षेत्रों का निर्माण होगा वो कब तक उस जगह उपस्थित रहेंगे यदि जिस जगह उर्जा क्षेत्रों का निर्माण नहीं होता उस घर, शॉप, फैक्ट्री का निर्माण कार्य प्लिंथ पर आकर रुक जाता है
५. जब किसी भी जगह पर शिलान्यास के बाद निर्माण कार्य शुरू होते ही पैंतालिस उर्जा क्षेत्रों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है सबसे पहले घर, शॉप, फैक्ट्री के मध्य में पहला उर्जा क्षेत्र बनता है जिसे वैदिक भाषा में ब्रहम स्थान कहा जाता है इसी ब्रहम अंड में जीवन की सारी संभावनाएं छुपी होती है समस्त जगत में निर्माण की सारी प्रक्रिया इसी तरह से होती है धीरे धीरे निर्माण आगे बढ़ता जाता है बाकि के सभी उर्जा क्षेत्रों का निर्माण भी उतरोत्तर होता जाता है जब घर, शॉप, फैक्ट्री का निर्माण पूर्ण हो जाता है तब तक उस जगह पर ४५ देवताओं का निर्माण हो चुका होता है जिएसे वैदिक भाषा में और हमारे शास्त्रों में वास्तुपुरुष मण्डल के नाम से संबोधित किया गया है
६. दिशाएं :- सोलह दिशाएं वास्तु में प्रयोग में आती है जिनसे ही हमारे जीवन का सञ्चालन होता है इन सोलह दिशाओं का अपना अपना महत्व और कार्य होता है जो की कि हमारे जीवन के आयामों को संचालित करती है जैसे कि:-
1. पूजा, स्व से जुड़ना, ध्यान = ईशान दिशा,
२. मनोरंजन = पूर्व उत्तर पूर्व,
3. सामाजिक संपर्क = पूर्व,
4. मंथन, सही सोच विचार= पूर्व दक्षिण पूर्व,
5. नकद पैसा = दक्षिण पूर्व आदि आदि
७. बत्तीश प्रवेश द्वार :- हर जगह के बत्तीश प्रवेश होते है जिनका जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव आता है द्वार घर का सारथी होता है जैसा सारथी होगा घर भी उसी दिशा में जायेगा जीवन की बागडोर भी उसी के हाथ में होगी. पुरे बत्तीश के बत्तीश द्वारो का अपना अपना प्रभाव होता है इनमें से केवल दश ही द्वार सही होते जो मानव को आगे बढ़ाते है बाकि तो पतन का कारण ही बनते है जैसे कि :-
पूर्व से उत्तर तक के द्वारों का प्रभाव
१. यह द्वार अग्नि सम्बन्धी दुर्घटनाएं एवम देवी कृपा से जीवन में आगे बदने की क्षमता देता है
२. यह द्वार घरों में अधिक कन्या जन्म एवम आकस्मिक नुकसान देता है
३. धारा प्रवाह धन, लाभ एवम सफलता प्रधान करता है
४. सरकार के साथ घनिष्ठता एवम सरकारी कामों में लाभ धन प्राप्ति का कारक है
५. छोटी छोटी बातों पर पागलपन की हद तक गुस्सा करना इस द्वार का प्रभाव है
६. अपनी बातों पर कायम ना रहने पाने के कारण व्यापर एवम समाज में साख ख़राब होना
७. यह द्वार निवासियों में निर्मम व्यवहार की प्रवर्ती एवम दूसरों के प्रति कटु स्वभाव को बढ़ाता है
८. यह द्वार दुर्घटनाएं, , नुकसान. चोरी, एवम निवेशों में घाटा देता है
९. इस द्वार के कारण चौहद साल की उम्र के बच्च्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और बच्चे का स्वभाव माता पिता की इच्छा के विपरीत होता है
१०. यह द्वार व्यापर के लिए अशुभ एवम MNC कंपनियों के लिए ठीक रहता है
११. यह द्वार अत्यंत सफलता एवम समृधीदायक एवम भवना में रहने वाले साम , दाम, दंड भेद में माहिर होते है
१२. यह द्वार फेक्टारियों एवम उधोयोगों के लिए सफलतादायक समृधिदायक घर में अधिक लड़कों का जन्म होता है
१३. यह द्वार कर्जे मुक्ति में बाधाएं, भवन निवासी अपनी बुधि का सार्थक उपयोग में असमर्थ होते है
१४. यह द्वार अत्यंत दरिद्रता का कारक, बिना वजह नुकसान, घर बिकने तक की नोबत इस द्वार का प्रभाव है
१५. द्वार जीवन से उबाउपन, सभी प्रयासोंका निष्पल, हर मेहनत गिरावट की और का कारक
१६. यह द्वार सवार्धिक ( सबसे से बुरा ) गलत द्वार है खानदान से पूर्णतया कट जाना, धन की हानी, संबंधों की हानी, जीवन के लिए खतरा का कारक
१७. इस द्वार का धन और आयु पर नकारात्मक प्रभाव होता है
१८. इस द्वार के कारणविचारों में अस्थिरता, दूरदृष्ठि के अभाव के कारण करियर में असफलता, जीवन के सभी आयामों में अस्रुक्षा की भावना
१९. यह द्वार विकास और सम्पनता कारक
२०. सहज जीवन यापन का कारक ना लाभ ना हानि , संतुलित जीवन जीने का करक
२१. यह द्वार अति महत्वकांशी बनाता है, बेहतर करने का पुजारी, उच्चाप्राप्तियों की ललक के कारण सामजस्य ना बैठा पाने के कारण समस्याएँ एवम तनावग्रस्त का कारक
२२. मन ही मन घुटने का आदी, अपनी बात नजदीकी सम्बन्धों में रखने में असमर्थ, मानसिक अवसाद का कारक
२३. यह द्वार जीवन की छोटी छोटी खुशियों से वंचित होने के कारण जीवन में निराशावादी होने के कारण नशे का आदी होना
२४. अपने फायदे के लिए अनुचित कदम भी उठाने के लिए जिम्मेवार
२५. इस द्वार के कारण शत्रुओं से परेशांन, कभी कभी जानलेवा हमले का कारण
२६. इस द्वार के कारण ईर्ष्या को बढ़ावा, बुरी नजर से लगातार हानि
२७. इस द्वार से अत्यधिक धन लाभ, नए कार्यों में लाभ, पुत्र प्राप्ति, लगातार धन में वृद्धि
२८. सभी दिशाओं से धनवर्षा, पुरखों से धन एवम जायदाद की प्राप्ति
२९. यह द्वार धार्मिक सोच के कारणआगे बढ़ने का जोश शांत करता है
३०. विचित्र व्यवहार के कारण सभी दुरी बनाने लगते है
३१. इस द्वार के कारण घर की लड़कियां विजातीय शादी करती है एवम माता पिता के विपरीत जाती है
३२. भारी बैंक बैलेंस, बचत का कारक
८. गतिविधि :- स्पेस निर्माण के बाद में कोंनसी गतिविधि कहाँ पर है उसके अनुसार भी जीवन प्रभावित होता है जैसे कि
1.आपका बेडरूम कहाँ है,
२.रसोई कहाँ है,
3.टॉयलेट्स कहाँ है,
4.पूजा का कमरा कहाँ है,
5.बच्चों के पढाई का कमरा कहाँ है,
6.बैठक कहाँ है,
7.सीढियाँ कहाँ पर है
8.पानी का टैंक कहाँ कहा पर है आदि
यदि टॉयलेट्स ईशान कोण में होगा तो उस घर किसी ने किसी के १००% कैंसर की बीमारी होगी, नैरित्य कोण में यदि पानी का टैंक होगा तो जीवन में संकट, और टॉयलेट्स होगा तो शादी में परेशानी, पुत्र का पैदा ना होना, दुनिया भर की समस्याएँ आना शुरू हो जायेगीं.
९. पंच तत्व :- भगवान ( पंच तत्व ) कहाँ कहाँ पर है
1.भूमि ( पृथ्वी ) = दक्षिण पश्चिम, जीवन में हर क्षेत्र में स्थाईत्व देती है चाहे वो पारवारिक जीवन हो या बिज़नस का, केरियर का हो, नौकरी का हो,
२.गगन ( आकाश) = पश्चिम, आकाश जीवन को विस्तार देता है,
3.वायु ( हवा ) = पूर्व, सामाजिक संबध जोडती है,
4.आग = दक्षिण, नकद धन और सुरुक्षा, आत्मविश्वास, यश, चमकाता है,
5.नीर ( पानी ) = उत्तर जीवन नए अवसर की शुरुवात उत्तर से होती है चाहे वो नोकरी हो या बिजनिस हो, धन आगमन के रस्ते उत्तर दिशा खोलती है
१०. रंग :- जीवन में रंगों का भी बहुत महत्व है बिना रंग के जीवन सुना होता है लकिन गलत रंगों का चयन भी जीवन में भारी उतार चढ़ाव पैदा कर देता है रंग भी दिशाओं के हिसाब से सुनिश्चित होते है जैसे कि
1.उत्तर = नीला,
२.पूर्व = हरा,
3.दक्षिण = लाल,
4.दक्षिण पश्चिम = पीला,
5.पश्चिम = सफ़ेद
परन्तु जब घर में रंगों का चुनाव सही नहीं होता है तो समस्याएं आना शुरू कर देती है इन रंगों के अलावा एक कॉमन कलर भी होता है जो सभी जगह किया जा सकता है और उसका जीवन में बुरा प्रभाव नहीं आता है
११. उपकरण :- आधुनिक जीवन में आम घरों में सुख सुविधा के कई साधन उपकरण प्रयोग में लिए जाते है जो की यदि गलत जगह पर रख दिए जाते है तो उनसे भी जीवन में समस्याएँ आना शुरू कर देती है जैसे कि मिक्सी ग्राइंडर, डस्टबिन. टी.वी, झाड़ू, इन्वर्टर, वाशिंग मशीन, इत्यादि जैसे कि यदि वाशिंग मशीन स्वास्थ्य के जोन में राखी होगी तो उस घर में रहने वाले के स्वास्थ्य को धो देगी और उपचार का कोई फायदा नहीं होगा.
अब हम आपसे से यह शेयर करना चाहते है कि वास्तु कोई तोड़ फोड़ का विषय नहीं है जो तोड़ फोड़ करवाते है वास्तविक रूप से उन्हें यह ज्ञान को सीखने की आवश्यकता है क्योंकिं वास्तु का आधा अधूरा ज्ञान रखने वाले पोंगापंडित समाज में वास्तु का इतना डर पैदा कर रखा है कि वास्तु का नाम आते ही दिमाग में तोड़ फोड़ की आवाज गूंजने लगाती है वास्तु तो एकदम शुद्ध विज्ञानं है जैसे कि मेडिकल साइंस………….

वास्तु भी मेडिकल साइंस की तरह ही रोंगों के लक्षणों के आधार पर समस्या का निदान का उपाय देती है जिस तरह से मेडिकल साइंस में पहले रोंगों के कारण को जाना जाता है उसी प्रकार से वास्तु में पहले वास्तु दोषों के कारण को पकड़ना पड़ता है जब कभी हमारे शारीर में कहीं पर दर्द या चोट लगती है तो हमारा ध्यान उसी जगह पर जायेगा जहाँ पर चोट या दर्द है. इसी प्रकार से जब घर में रहते हुए यदि किसी को कोई समस्या है तो वो वही बात बोलेगा जो की समस्या से सबंधित होगी. जो की किसी दिशा विशेष से सम्न्बंधित होगी जैसे “ किसी घर में पुत्र पैदा नहीं होना “ तो वास्तु सलाहकार का सीधा ध्यान दक्षिण पश्चिम दिशा में जायेगा. क्योंकि यह समस्या इस जोन से ज्यादा सम्बन्धित है और उस जगह पर उपस्थित गलत गतिविधि, गलत रंग, या अन्य कोई गलत उपकरण वहाँ पर रखा होगा जिसकी वजह से यह समस्या आ रही है उसे हटवायेगें तो जो पुत्र पैदा नहीं होने की समस्या है वो दुर हो जाएगी
इस प्रकार से लक्षणों उपचार विधि का प्रयोग कर वास्तु दोषों को दूर किया जाता है
वास्तु दोष दूर करने की महावास्तु की चार सूत्रीय प्रणाली इस प्रकार काम करती है
१. प्रवेश द्वार कहाँ पर है ( ऊपर वर्णित प्रवेश द्वारों का प्रभाव देखें )
२. गतिविधि
३. पंच तत्त्व की उपस्थिति
४. वास्तु प्रोग्रामिंग
वास्तु प्रोग्रामिंग सबसे अंतिम चरण है क्योंकि जब तक शुरूकेतीन चरण पूरे नहीं होंगे चौथा चरण लागु नहीं किया जा सकता वास्तु प्रोग्रामिंग के दौरान मनोवांछित मनोकामना पूर्ण करने के लिए 2D तकनीक या 3D तकनीक का उपयोग किया जाता है
1. 2D तकनीक में पंटिंग्स, तस्वीर, का प्रयोग किया जाता है
२. 3D तकनीक में मूर्तियों का प्रयोग किया जाता है
वास्तु दोषों को ठीक करने के उपाय बड़े ही सरल और सुलभ है घर में बिना किसी तोड़ फोड़ के महावास्तु की सोलह वास्तु निवारण तकनीकों का प्रयोग कर घर में सुख, शांति, धन, स्वास्थ्य लाभ, करियर में वृद्धि, पाना संभव है
वास्तु के बारे में हमारे पूर्वजों ने हमें इस ज्ञान का तोहफा देकर गए है वृहत संहिता, विश्वकर्मा प्रकाश, मत्स्य पुराण, अर्ह्शास्त्र, मनसार आदि कई वैदिक शास्त्र इस ज्ञान से भरे पड़ें है जिनमें वास्तु ज्ञान रूपी खजाना छुपा है जरूरत है तो केवल उन्हें ज्ञान को खोजने की और उसका पालन करने की…….क्योकि हम तो अपनी संस्कृति को छोड़कर पता नहीं कहाँ जा रहे है
घर, ऑफिस, शॉप, मॉल किसी भी बिल्डिंग बनवाने की लागत का यदि दो प्रतिशत पैसा भी यदि इस ज्ञान को सीखने और जानने पर खर्च किया जाये तो जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है.

श्री रोहित शाह
महावास्तु एक्सपर्ट, एस्ट्रो-वास्तु, अंक ज्योतिश, जियो पैथिक स्ट्रेस हीलर

Ssri Rohit Shah
Ssri Rohit Shah
Vastu Acharya, Master Numerologist, Astro-Vastu and Lal Kitab Expert, iBazi Profile Charter.
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